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क्रिसमस 2023: क्रिसमस कैसे मनाया जाता है?

ख्रिसमस

क्रिसमस ईसा मसीह के जन्म की खुशी में मनाया जाने वाला एक त्योहार है। प्रभु ईसा मसीह को ईश्वर का पुत्र माना जाता है। ईसाई धर्म के अनुसार, प्रभु ईसा मसीह का जन्म 25 दिसंबर को हुआ था, इसलिए इस दिन को क्रिसमस के रूप में मनाया जाता है। ये त्योहार लगबग पुरे विश्व में मनाया जाता है।

क्रिसमस-प्रभु यशु का जन्म दिवस

प्रभु यशु के जन्म का वर्णन ईसाई धर्मग्रंथों, बाइबिल के ल्यूक और मैथ्यू में मिलता है। उनके अनुसार, प्रभु यशु का जन्म बेथलेहम, गेवी या जूडी में हुआ था।

कहा जाता है कि एक बेदाग कुंवारी मरियम है सपना देखा कि गैब्रियल देवदूत ने दर्शन दिया और कहा कि प्रभु तुम्हारे गर्भ में हैं। यशु का जन्म होने वाला है। इसके बाद यूसुफ को स्वप्न में देवदूत ने बताया कि मरियम के गर्भ में ईश्वर का रूप पल रहा है और वही होंगे। तुम दोनों का बेटा. यूसुफ ने बड़ी खुशी से मैरी को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। विवाह के बाद यूसुफ गलील छोड़कर बेथलहम में रहने चले गए। बाद में मरियम से प्रभु यीशु का जन्म हुआ।

कुछ बुद्धिमान लोग जेरूशलेम गए और पूछा कि यहूदियों के राजा का जन्म कहाँ हुआ था। हम उनकी पूजा करने आए हैं। यशु के जन्म की खबर मिलने के बाद, जेरूशलेम के राजा हेरोदेस ने दो साल से कम उम्र के बच्चों को मारने का आदेश दिया। इधर, देवदूत सपने में यूसुफ के पास आया और उससे कहा कि वह यीशु और उसके पिता को बचाने के लिए इजिप्त जाए। तब यूसुफ रात को सब को लेकर इजिप्त चला गया, और हेरोदेस की मृत्यु तक वहीं रहा। ऐसा माना जाता है कि 25 दिसंबर यशु ने अपने जन्म के लिए चुना सबसे छोटा दिन है।

क्रिसमस त्योहार कैसे मनाया जाता है?

वैसे तो क्रिसमस ईसाइयों का एक बड़ा त्योहार है, इसे इस धर्म की स्थापना के कई वर्षों बाद मनाया जाना शुरू हुआ। लेकिन भगवान के जन्म का त्योहार भगवान की मृत्यु के लगभग सौ साल बाद मनाया जाने लगा।

क्रिसमस कई देशों में बहुत बड़े पैमाने पर मनाया जाता है। भारत में यह त्यौहार एक सार्वजनिक अवकाश है, ईसाई स्कूल कई क्रिसमस कार्यक्रम आयोजित करते हैं। साथ ही निजी सरकारी स्कूल और हिंदू घर में भी इस त्यौहार को बड़े पैमाने पर मनाते हैं। लेकिन 25 दिसंबर से दो-तीन दिन पहले वे विशाल परेड और मिठाइयों के साथ बच्चों के लिए एक मेले का आयोजन करते हैं।  वे कुछ स्थानों पर बड़ी प्रतियोगिताओं का भी आयोजन करते हैं और 25 दिसंबर की रात को पूजा और भक्ति संगीत का प्रदर्शन करते हैं। पुरे विश्व में लोग इस त्योहार में शामिल हो जाते है। विशेष रुपसे बडे शहरोंमे क्रिसमस बडी धूमधाम से मनाया जाता है। जादातर इसाई धर्म के लोग भारत में बडे शहरोंमे रहते है।

सांता क्लॉज़ कौन थे?

इसाई धर्म में सांता क्लॉज़ को एक देवदूत माना जाता है।मना जाता है की वे स्वर्ग से आते हैं और सभी बच्चों के लिए उपहार और चॉकलेट लाते हैं।सब बच्चोको उपहार देकर फिर चले जाते हैं।

सांता क्लॉज़ का असली नाम सेंट निकोलस था। इतिहासकार कहते हैं कि उनका जन्म प्रभु यशु के 280 साल बाद हुआ था। उनका जन्म तुर्की के मायना में हुआ था। निकोलस को गरीबों की मदद करने की आदत थी। निकोलस बच्चों से बहुत प्यार करता था। वह यूरोप में सबसे लोकप्रिय संत थे। जब वह एक बच्चे के रूप में अनाथ थे, तब उनके मन में प्रभु यीशु के प्रति आस्था बढ़ गई और उन्होंने प्रभु यीशु को अपने अभिभावक के रूप में स्वीकार कर लिया। उसके बाद में ईसाई धर्म के पादरी बन गए।

अब भी कई लोग सांता बनकर बच्चों को उपहार दें देते है।उपहार देते समय वो सांता का ड्रेस पहनते है। जिससे बिना अपना मुह दिखते वह उपहार दे सके।बच्चो का आनंद देख सकते है।

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क्रिसमस ट्री

अतीत में, पश्चिमी देशों में लोग त्योहारों के दिनों में अपने घरों को सजाने के लिए इस पेड़ का इस्तेमाल करते थे। कई लोगों का मानना ​​था कि अगर इस पेड़ की शाखाओं को घर पर रखा जाए, तो घर में मौजूद बुरी शक्तियां, भूत या आत्माएं दूर हो जाएंगी। इसलिए, इस पेड़ का दिखना शुभ माना जाता है।

क्रिसमस में इस पेड़ की पूजा सबसे पहले 16 वीं सदी में जर्मनी में शुरू हुई थी। उसके बाद यह पश्चिमी देशों में फैल गया, उसके बाद अमेरिका और इंग्लैंड में और आज यह पूरे विश्व में महत्वपूर्ण है। क्रिसमस के दिन इस पेड़ का विशेष आकर्षण होता है। क्रिसमस के दिन इस पेड़ को विशेष रूप से सजाया जाता है। हर्षोल्लास के साथ इसकी पूजा की जाती है।

लोग इसे क्रिसमस ट्री कहते हैं। कभी-कभी इन पेड़ों पर उपहार भी देखे जाते हैं। कई घरों में क्रिसमस ट्री भी होता है। अगर यह घर में होता है तो घर के लोगों के बीच प्यार बढ़ता है और अगर क्रिसमस ट्री को मोमबत्तियों से सजाया जाए तो कहा जाता है कि घर में बरकत बढ़ती है। सुख और समृद्धि आ जाती है।

क्रिसमस इसाई धर्मियोन्का सबसे बडा त्योहार है। त्योहार में लोग एक दुसरे से प्यार और उपहार बांटते  जाते है। सभी लोगो में खुशायोन्की बरसात होती ही।

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